हाथ बताते हैं आपके सेहत का हाल


शरीर के अंगों में हाथ का अपना एक अलग ही महत्व है। इसकी आकृति और बनावट का शरीर और दिमाग से पूर्ण रूप से संबंध है। दिमाग जितना अधिक विकसित होगा उतना ही हाथ की बनावट सुंदर होगी। जानवरों को अंगूठा नहीं होता, जो कि उनके अपूर्ण विकसित होने का प्रमाण है। यह इस बात का प्रतीक है कि उनमें स्वतंत्र विचार और इच्छाशक्ति का अभाव है।

शरीर और दिमाग में जो कुछ भी चलता है उसकी प्रतिक्रिया हाथ पर दिखाई देती है

प्राचीन भारत में हाथ का अध्ययन ज्यादातर ज्योतिषी करते थे या फिर वैद्य करते थे। बदलते समय के साथ-साथ वैद्यों ने इस काम को तिलांजलि दे दी है, पर अभी भी ज्योतिष विज्ञान जारी है। पुराने ग्रीक में प्लेटो और अरस्तु का हाथ के अध्ययन से बीमारी की जानकारी करने पर विशेष जोर था। न्यूयार्क के एक चिकित्सा अधिकारी का तो यहाँ तक कहना है कि दिमाग और शरीर में पल रही हर छोटी से छोटी बीमारी का पता हाथ के अध्ययन से लगाया जा सकता है। क्योंकि शरीर और दिमाग में जो कुछ भी चल रहा होता है उसकी प्रतिक्रिया सीधे तौर पर हाथ पर दिखाई देती है। शिकागो और न्यूयार्क में इस समय तो हाथ के अध्ययन को लेकर गहन शोध तक चल रहा है।

इस क्षेत्र में किए जा रहे शोध की कुछ खास वजह इसप्रकार है :

  1. फिजियोलाजिस्टों ने यह पाया है कि शरीर के कुल सेंसिटिव सेल का 30 फीसदी हिस्सा हाथ में होता है। यह शरीर के किसी भी अंग की तुलना में सबसे अधिक है।
  2. वैज्ञानिकों का कहना है कि हाथ और हाथ पर बनी रेखाओं तथा उंगलियों का घनिष्ट अंतर संबंध होता है। ये तीनों ही मिलकर शरीर में होने वाले किसी भी गतिविधि को सबसे पहले उजागर करते हैं।
  3. शोध में यह पाया गया है कि बीमारी शरीर के अन्य भागों में पहुँचने से पहले हाथ पर असर डालती है।

किसी भी बीमारी का संकेत सबसे पहले हमें हाथ देने का काम करता है

हाथ एक महत्वपूर्ण अंग है और इसके गहन व बारीक वैज्ञानिक अध्ययन से बीमारी का पता लगाया जा सकता है। यदि रेखाएं स्पष्टए सुंदर और पिंक हैं तो तन-मन स्वस्थ होने का प्रतीक है। यदि रेखाएं टूटी-फूटी और अस्पष्ट है तो इससे संकेत मिलता है कि दिमाग और शरीर के सामान्य क्रिया में कोई व्यवधान है, धमनियों में रक्त संचार ठीक नहीं है या फिर कोई मनोवैज्ञानिक तत्व हावी है। यदि शरीर में खून की कमी है तो हथेलियां धीरे-धीरे सफेद दिखाई देने लगती हैं।

गर्म महसूस हो तो यह शर्तिया शरीर में अधिक विटामिन होने का संकेत है

यदि विटामिन की कमी हो या फिर दिल पूरी तरह से रक्त साफ कर पाने में सफल नहीं हो पा रहा है तो उंगलियां शुष्क, पीली, ठंडी और कुरूप दिखाई देने लगेंगी। इसी तरह हथेलियों में ज्यादा पसीना, अलग गंध और अतिरिक्त रूप से गर्म महसूस हो रहा हो तो यह शरीर में अधिक विटामिन होने का संकेत है।

थायरायड ग्रंथियां कितनी सक्रिय हैं,  हाथ देखकर पता लगाया जा सकता है

थायरायड ग्रंथियां कितनी सक्रिय हैं, इसका भी पता हाथ को देखकर लगाया जा सकता है। यदि ये ग्रंथियां ज्यादा सक्रिय हैं तो हथेलियां अतिरिक्त रूप से गर्म रहने के अलावा भीगी हुई और मुलायम होंगी। लेकिन खुरदरी, ठंडी और सूखी हथेलियां इस बात का संकेत हैं कि थायरायड ग्रंथियां पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं हैं। यदि हाथों के नाखून सख्त हों, उन पर सफेद धारियां हों तो तंत्रिका तंत्र की किसी बीमारी का संकेत है। नाखूनों पर छोटे-छोटे सफेद धब्बे तंत्रिका तंत्र के कमजोर होने की ओर इशारा करते हैं।

हथेलियों का पीलापन टायफाइड की तरफ इशारा करता है

डॉक्टर गार्डन ईण् हैन्ह प्रयोगों और परीक्षणों के माध्यम से यह कहते हैं कि यदि हाथ की लंबाई सामान्य से अधिक हो तो ग्रंथियों से स्राव में कुछ असामान्यता हो सकती है। इसी तरह हाथ के पिछले हिस्से का अध्ययन करके यह जाना जा सकता है कि गुर्दा कैसा कार्य कर रहा है। हथेलियों का पीलापन टायफाइड की ओर इशारा करता है।

मोम जैसा और सफेद हो तो खून की कमी हो सकती है

उंगलियों के पोरों की असामान्य रेखाएं दिल का दौरा करीब होने की ओर इशारा करते हैं या फि़र कोई मानसिक असंतुलन की ओर संकेत करते हैं। सिजोफ्रेनिया के शिकार लोगों के उंगलियों के पोरों की लाइनें पीली होती हैं, जिन्हें माइक्रोस्कोप के जरिये देखा जा सकता है। मेगालोमेनिया (महत्वाकांक्षा) के शिकार लोगों की हथेलियां ऊबड़-खाबड़, तुड़ी-मुड़ी उंगलियां और अंगूठे छोटे होते हैं। इसी तरह हथेलियां पीली हैं तो पित्त रोग हो सकता है, नील रक्ताभ हो तो खून साफ न होना हो सकता है। यह मोम जैसा और सफेद हो तो खून की कमी हो सकती है। हथेलियों पर झर्रियों जैसा कुछ दिखे तो उदर रोग का संकेत है।

हथेलियों की कमजोर रेखाएं किसी स्ट्रोक की परिचायक हैं

अविकसित सपाट और पतले नाखून स्ट्रोक की तरफ इशारा करते हैं। यदि वे छोटे हों तो दिल के रोग की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। यदि नाखून नीले पड़ जाएं तो किसी गंभीर रोग का सूचक है। सत्रहवीं शताब्दी में लंदन में मेल्टन को हाथ की रेखाओं के अध्ययन का विशेषज्ञ माना जाता था। उन्होंने लिखा है कि अगर हाथ की रेखाएं किसी चेन की तरह हों, हाथ के पिछले हिस्से पर झुर्रियां हो और हथेलियां काफी मुलायम हों तो यह हिस्टीरिया का साफ संकेत है। एक छोटा और त्रिकोण हाथ, पतले नाखून, हथेलियों की कमजोर रेखाएं किसी स्ट्रोक की परिचायक हैं। इस तरह हम पाते हैं कि बीमारियों का पता लगाने में हाथ के अध्ययन की एक अति अहम भूमिका होती है। #

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