हृदय के लिए क्या घातक होते हैं मानसिक दबाव?
क्या मानसिक दबाव हृदय के लिए घातक होते हैं या नहीं इस बात पर एक सामान्य धारणा यह है कि मानसिक दबाव हृदय के लिए घातक होते हैं और इससे पीड़ित व्यक्ति अक्सर हृदय रोगों के शिकार होते है। लेकिन कुछ परीक्षणों ने इस ओर इशारा किया है कि यदि मानसिक दबाव अकस्मात न हो और उसकी मात्रा धीरे-धीरे बढ़ी हो तो वह घातक नहीं होता है। इसके उलट इस तरह का दबाव किसी भी व्यक्ति को उसके अपनी सामाजिक परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाने में सहायक साबित होता है।
कैसे होने लगता है दिल तंदुरुस्त?
शारीरिक क्रिया वैज्ञानिकों के एक दल ने पहली बार प्रमाणित किया है कि कैसे दबाव हृदय की रक्षा करता है, उस अंग की जिस पर दबाव का असर सबसे पहले पड़ता है। यह देखा गया है कि धीरे-धीरे दबाव के अनुकूल बन जाने से दिल की धड़कन की गड़बड़ी और अचानक दिल का दौरा पड़ना रूक जाता है। दबाव के प्रतिक्रिया स्वरूप शरीर उसके प्रभाव को परिसीमित करने वाली प्रणालियों को चालू कर देता है। यद्यपि स्वयं दबाव तंत्रिका प्रणाली पर पड़े अतिभार से नहीं।
आखिर अहम भूमिका कौन अदा करता है?
चहों पर एक शोध कार्य किया गया जिसमें चूहों के शरीर में कृत्रिम जीव-रासायनिक दबाव को उत्पन्न किया गया। कई दिनों तक दबाव वाला मुख्य हार्मोन एड्रेनलीन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में चूहों के शरीर में पहुंचाया गया। यह स्वाभाविक ही था कि प्रत्येक मात्रा के प्रतिक्रियास्वरूप दबाव को परिसीमित करने वाली प्रणालियां चालू होंगी। दबाव का कम होना इसी में निहित है। प्रयोगों ने वैज्ञानिकों की परिकल्पना को पूरी तरह से पुष्ट कर दिया था। जीव-रासायनिक मृदृकरण के बाद कोष्ठ में रखे दिल ने भी अति रक्ताल्पता का मुकाबला किया। अंत में यह निष्कर्ष निकलता है कि प्रतिकूल प्रभाव के अधीन अंग का स्व-नियंत्रण पूरे शरीर के अनुकूलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
दबाव की आखिर भूमिका क्या है?
दबाव एक ऐसा साधन है जो किसी परिवेश के अनुकूल ढालने में मनुष्य के शरीर को सामर्थ्य प्रदान करता है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या जिस दबाव को अब तक हम अपना दुश्मन मानते आए हैं वह वास्तव में हमारा दुश्मन नहीं बल्कि दोस्त है। तो हाँ, इसका जबाव हाँ है। वैज्ञानिक शोधों से यह बात सिद्ध हो चुकी है। अतः दबाव को लेकर जो धाारणाएं अब तक जनमानस में जो थी वह अब गलत साबित हो चुकी हैं।
क्या दबाव का मुकाबला करने में दबाव सहायक है?
जैसे कि एक कहावत है कि जहर की दवा आखिर जहर ही होती है। किन्तु अंगो को अनुकूल अवस्था में लाने का काम सावधानी से और धीरे-धीर करना चाहिए। जाहिर सी बात है कि यहां बताए गए परिणाम दिल की धड़कन की गड़बड़ियों और अचानक दिल का दौरा पड़ने पर कारगर ढंग से मुकाबला करने के लिए नई औषधियों की खोज करने में वैज्ञानिकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। #
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