घरेलू महिलाएं आखिर क्या करें जब आ जाए कोई संकट


हमारे देश में स्त्री-शिक्षा का प्रचार दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है, परंतु देखा गया है कि शिक्षित महिलाओं में भी किसी रोग या दुर्घटना के समय प्रारंभिक उपचार का बहुत कम ज्ञान होता है। बच्चा कोई वस्तु निगल जाय, विषैली वस्तु खा जाय, जल जाय, गिर जाये, डूब जाय तो प्रारंभिक उपचार न होने के कारण अनेक बहुमूल्य प्राणों की हानि हो जाती है। अतएव प्रारंभिक उपचार का ज्ञान प्रत्येक मां व गृहिणी के लिए आवश्यक है।


अगर बच्चा कुछ निगल गया हो तो तत्काल डाक्टर की सहायता लीजिए

बच्चे नाक या कान में भी कई वस्तुएं डाल देते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें चिमटी से सावधानी से निकाल लिया जाना चाहिए। बच्चों की यह आदत होती है कि जो भी चीज मिल जाये उसे निगल जाते हैं। ऐसे में पिन या सुई खतरनाक सिद्ध हो सकती है। अगर पिन या सुई मुंह में हो तो बड़ी सावधानी के साथ हाथ डालकर उसे निकाल लीजिए। अगर निगल लिया गया हो तो तत्काल डाक्टर की मद्दत लेने से कोई संकोच न करें।  अगर बच्चा कोई विषैली वस्तु खा ले तो डॉक्टर के आने तक बच्चे को तत्काल कुल्ला करा दीजिए। कुल्ला कराने के लिए दूध या पानी पिलाकर गले में अंगुली डालिए। अगर बच्चा पी सके तो पानी में सरसों के बीज या साबुन मिलाकर पिलाइये। अगर इनसे भी कोई सफलता न मिले तब भी किसी मेडिकल विक्रेता से कोई दंवाई न लें। सीधे डॉक्टर से संपर्क करें।


आग से जल जाने पर पेट्रोलियम की जेली या बर्नोल लगाएं

कपड़ा धोने का सोडा, कास्टिक सोडा या चूना खा जाने की स्थिति में नींबू का रस या सिरका पिलाइये। फिनाइल खा लेने पर अंडा व दूध पिलाइये। कुनैन की गोलियां खा लेने पर नमक या सरसों का घोल मिलाकर उसे कुल्ला करवाइये। वैसे हर घर में भोजन बनाने के दौरान किचन में आग से जलने की घटनाएं आम हैं। ऐसी स्थिति में पेट्रोलियम की जेली या बर्नोल या बेसिक मरहम लाभदायक होते हैं। अगर ये न मिल सकें तो वनस्पति घी का प्रयोग किया जा सकता है। जले हुए स्थान पर आयोडीन या अन्य कीटाणुनाषक औषधि का प्रयोग न करें। फफोले पड़ने पर डॉक्टर की सलाह पर अमल कीजिए। अगर कोई फफोला फूट जाये तो कैंची से त्वचा को काटकर एक मरहम वाला कपड़ा लगा दीजिए। अगर बच्चा बहुत अधिक जल गया हो तो उसे डॉक्टरी सहायता आने तक हलके गर्म पानी में रख दीजिए। अस्पताल भेजते समय उसे कम्बल में लपेट दीजिए।


डंक मारा हो तो पट्टी बांध दीजिए और तत्काल अस्पताल पहुंचा दीजिए

सांप या बिच्छू के काटे जाने पर तत्काल कदम उठाना बहुत आवश्यक होता है। जहां पर डंक मारा हो उस स्थान पर ऊपर से पट्टी बांध दीजिए और तत्काल अस्पताल पहुंचा दीजिए। अगर शीघ्र डॉक्टरी सहायता न मिले तो पानी में उबले हुए छुरे से नश्तर लगा दीजिए ताकि खून बह जाये। सांप के काटने पर तत्काल अस्पताल ले जाइये और बच्चे को किसी भी स्थिति में सोने मत दीजिए।


चोट लगने पर गर्म घी में हल्दी मिलाकर लगाने से काफी लाभ हो सकता है

चोट लग जाने या गिर जाने से बच्चों की हड्डी टूट जाती है या चटक जाती है अथवा पांव में मोच आ जाती है। मोच आये हुए पांव की सूजन को न बढ़ने देने के लिए उसे ऊपर उठा कर रखना चाहिए। गर्म घी में हल्दी मिलाकर लगाने से काफी लाभ हो सकता है। अगर किसी भी प्रकार सूजन न घटे और दर्द बना रहे तो डाक्टर को बुला लेना चाहिए।


हड्डी टूट जाने का संदेह होने पर सीधे अस्पताल ले जाइये

बच्चों की हड्डी टूट जाने या चटक जाने पर उसे पुनः जोड़ना अधिक कठिन नहीं होता क्योंकि उनकी हड्डी काफी कोमल होती है क्योंकि उस समय उसका विकास हो रहा होता है। जहां पर हड्डी टूट जाने का संदेह हो, उस जगह को जरा भी न हिलायें अगर उसे हिलाना या उस स्थान से हटाना आवश्यक हो जाये तो दोनों ओर लकड़ी की दो पट्टी रख दीजिए। उसके बाद इन पट्टियों पर एक कपड़ा लपेटकर पट्टी बांध दीजिए ताकि हाथ या पांव का चोट वाला स्थान ज्यों का त्यों बना रहे। हड्डी टूट जाने का संदेह होने पर किसी नौसिखिए की सलाह पर ध्यान न दे। सीधे अस्पताल ले जाइये ताकि यथाशीघ्र एक्स-रे हो सके और हड्डी को जोड़ने के लिए डॉक्टरी उपचार किया जा सके।


बच्चों के लिए मुंह से मुंह में हवा भरने का तरीका सर्वोत्तम है

प्रारंभिक उपचार में कृत्रिम श्वास-प्रश्वास क्रिया भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसे जानने के लिए किताबी ज्ञान पर्याप्त नहीं है। जब तक व्यवहारिक प्रदर्शन किया जाये तब तक कृत्रिम श्वास क्रिया को करना संभव नहीं है। कृत्रिम श्वास क्रिया की आवश्यकता तब होती है जब कोई बच्चा पानी में डूब जाये। सर्वप्रथम उसके मुंह व नाक में घुसी हुई वस्तुओं को साफ कर लिया जाये। तत्पश्चात उसके पेट का पानी खाली कर दिया जाये। इसके लिए उसके पेट पर कोई मुलायम कपड़ा बांधकर धीरे से दबाया जाये और उसके सिर को नीचे लटका दिया जाये। इस क्रिया से उसके पेट में गया हुआ पानी बाहर निकल जायेगा। उसके शरीर पर अगर कोई चुस्त कपड़ा हो तो उसे तत्काल ढीला कर दीजिए। बच्चे को जितना संभव हो उतना गर्म रखिए। बच्चों के लिए मुंह से मुंह में हवा भरने का तरीका सर्वोत्तम है। सर्वप्रथम खूब जोर से सांस लीजिए और अपना मुंह बच्चे के मुंह में लगाकर उसके शरीर में हवा फूंक दीजिए। तत्पश्चात उसके मुंह से बाहर को सांस खींचिए और फिर उसे छोड़ दीजिए। इस प्रक्रिया को एक मिनट में 23 से 25 बार तक दुहराइये। यह प्रक्रिया तब तक जारी रखिए जब तक बच्चे का सांस न चलने लगे।

प्रत्येक गृहिणी को चाहिए कि इन प्रारंभिक उपचारों का पर्याप्त ज्ञान रखना चाहिए। मालूम नहीं कब संकट काल की घंटी बज जाये। हो सकता है उस समय वह घर में अकेली हो और उसे ही प्रारंभिक उपचार करना पड़े। अगर संभव हो सके तो प्रत्येक गृहिणी को फर्स्ट-एड का एक कोर्स कर लेना चाहिए। #


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