शाकाहारी खानपान में छिपा है सेहत का राज


एक सर्वे में यह पाया गया है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ शाकाहारियों के शरीर में कोलेस्ट्राल को संग्रहित करने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है लेकिन यह मांसाहारियों की तुलना में काफी कम होती है। शाकाहारी भोजन करने वाले व्यक्तियों की तुलना में मांसाहार भोजन करने वाले व्यक्तियों के लिये दिल के दौरे तथा रक्त परिसंचरण संबंधी रोगों के परिणाम अधिक घातक हो सकते हैं। अपने इस सर्वे में यह भी पाया कि शाकाहारियों को कैंसर होने की संभावना भी कम होती है।

बच्चों में यह एक तरह की बीमारी सी होती है

वैज्ञानिकों का कहना है कि चीनी से न केवल स्वादकलिकाओं में मधुरता बढ़ती है बल्कि आक्रामक शराबियों, शीघ्र नाराज होने वाले दुबले-पतले लोगों में तथा भोजन से पहले नखरे दिखाने वाले बच्चों में यह एक तरह की बीमारी सी होती है जिसे अग्लूकोजरक्ता (हाइपोज्वाइसीमिया) कहते हैं। यह बीमारी रक्त में शर्करा-स्तरों के कम हो जाने के कारण हो जाती है।

आक्रामक व्यवहार करने लगता है

हालांकि मस्तिष्क स्वयं में ऊर्जा को एकत्र नहीं कर सकता है, ऐसे में जब पर्याप्त मात्रा में मस्तिष्क को ग्लूकोज नहीं मिलता है तो वह आक्रामक व्यवहार करने लगता है। इसलिए सामान्य ढंग से कार्य करने के लिए ऊर्जा की नियमित पूर्ति  होना जरूरी होता है। मस्तिष्क में रिसने वाली रक्त वाहिकाओं का एक अतिरिक्त परमाणु होता है जिसे सरेस कहते है।

मृत्यु तक हो सकती है

यह सरेस उन सिरदर्दों को ठीक कर सकती है। यह सरेस तब पैदा होते हैं जब अत्यंत पतली दीवारों वाली क्षीण रक्तवाहिकाएं मस्तिष्क पर दबाव डालती है, अत्याधिक सिरदर्द पैदा करने वाली इस हालत से मस्तिष्क की ओर जाने वाली नसें फट सकती है जिससे मस्तिष्क से रक्त बहाव (हैमरेज) से मृत्यु तक हो सकती है। अभी तक इनका उपचार बहुत खतरनाक शल्य चिकित्सा द्वारा किया जाता था। लेकिन अब इस सरेस का इंजेक्शन लगाया जाने लगा है। जो व्यक्ति अपने भोजन में अंडे, दूध, मक्खन और पनीर आदि का संतुलित समावेश करता है उसका भोजन संपूर्ण माना जाता है। यह बात जगजाहिर है कि ऐसे में उस व्यक्ति को कुपोषण की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। जो लोग भोजन के रूप में केवल अनाज, सब्जी, फल आदि का ही सेवन करते है। पूरी तरह से शाकाहारी व्यक्ति पर खतरनाक बीमारियों के आक्रमण की संभावना लगभग न के बराबर होती है। #

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