दूध पीना वास्तव में लाभदायक हैं?
किसी
युग में हमारे देश में भले ही दूध व शहद की नदियां बहती हों परन्तु इस समय ऊंचे
मूल्य पर भी दूध मिलना सम्भव नहीं है। पुराने समय में छोटे व्यापारी दूध बेचा करते
थे। परन्तु अब वह तरीका समाप्त हो रहा है। बड़े-बड़े उद्योगपति, सहकारी संस्थायें तथा सरकार दूध देने वाले पशुओं को पालकर दूध वितरण का
कार्य करने लगे हैं। नगरों में यही प्रणाली चल पड़ी है । परन्तु वे इस मांग को पूरी
नहीं कर पा रहे हैं। दूध पशुओं से प्राप्त होता है और पशु खेतों में उत्पन्न वस्तु
ही खाते हैं। अगर पशुपालन में वृद्धि की जाय तो कृषि के लिए कम भूमि बच जायेगी। इस
प्रकार पशुओं के दूध में कमी व वृद्धि होती रहेगी। वैज्ञानिक उपायों से दूध में
कुछ वृद्धि हो सकती है परन्तु उसकी भी एक सीमा है।
दूध
का कोई अन्य विकल्प है?
इस
प्रकार हम यह प्रश्न पूछने पर विवश हैं कि क्या दूध का कोई अन्य विकल्प है? यहां यह उल्लेखनीय है कि कुछ स्थितियों में दूध सर्वथा आवश्यक है। इसके
तीन कारण हैं। प्रथम यह कि कुछ माताओं के स्तनों में बच्चे के लिए पर्याप्त दूध
नहीं होता या वे रोगी हो जाती हैं। गाय व भैंस के दूध में वे सभी पोषक तत्व पाये
जाते हैं जो मॉ के दूध में होते हैं। मां के दूध के अभाव में यह उसका स्थान ले
सकता है। तीसरा कारण यह है कि शिशु दूध के अतिरिक्त अन्य भोजन को पचा नहीं सकता।
इस कारण शिशु के लिए कोई विकल्प नहीं है। जहां तक वयस्कों का संबंध है इसका विकल्प
प्रस्तुत है। संसार का कोई भी जानवर वयस्क होने पर दूध नहीं पीता। तब मनुष्य अकेला
क्यों दूध का प्रयोग करे? चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से भी
दूध उन्हीं के लिए आवश्यक है जो रोग से दुर्बल हो गये हैं या जिनकी पाचन शक्ति
बिगड़ गई है। तीन वर्ष की आयु के पश्चात बालक की पाचनशक्ति उतनी ही शक्तिशाली हो
जाती है जितनी एक वयस्क की।
दूध
का प्रयोग नहीं करते हैं
हमारे
समाज में कुछ ऐसे भी व्यक्ति होते हैं जो दूध या दही के नाम से दूर भागते हैं। वे
इन्हें ग्रहण नहीं करते परन्तु फिर भी उनका स्वास्थ्य उत्तम रहता है। यह भी पता
चला है कि अफ्रीका में कुछ ऐसी जनजातियां हैं जो दूध का प्रयोग नहीं करती परन्तु
फिर भी वे हष्ट-पुष्ट होते हैं। इस कारण स्वास्थ्य की दृष्टि से भी दूध एक वयस्क
के लिए आवश्यक नहीं है। साधारण व्यक्ति यह नहीं जानता कि गाय का जो दूध हमें मिलता
है उसमें मिलावट रहती है। गाय के शुद्ध दूध में 7/8 तथा 1/8 ठोस तत्व होते हैं। 1/4
लीटर दूध में केवल 28.35 ग्राम ठोस पदार्थ होता है जिनका विश्लेषण निम्न प्रकार से
हैः
प्रोटीन - 7.65 ग्राम कैल्शियम - 0.27
ग्राम
चिकना - 8.32 ग्राम फास्फोरस - 0.20 ग्राम
शर्करा - 10.80 ग्राम लौह - 0.00018 ग्राम
ये
पोषक तत्व छोटे बच्चों के लिए पर्याप्त हो सकते हैं परन्तु वयस्कों के लिए उनका
अधिक महत्व नहीं है। एक सामान्य मनुष्य दिन में 311 ग्राम चावल, 31 ग्राम चना, 31 ग्राम सब्जी या मांस तथा 10 ग्राम
तेल का प्रयोग करता है जिनमें निम्न मात्रा में पोषक तत्व होते हैः
प्रोटीन - 26.70 ग्राम कैल्शियम - 0.130
ग्राम
चिकनाई - 11.60 ग्राम फास्फोरस - 0.397 ग्राम
शर्करा - 238.00 ग्राम लौह - 0.006 ग्राम
ये
पोषक तत्व एक चौथाई दूध से अधिक हैं। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि दूध में वयस्कों
के लिए भोजन में आवश्यक पोषक तत्व नहीं होते। इससे कुछ वृद्धि भी नहीं होती। पूरे
पोषक तत्व पीने के लिए कई गैलन दूध पीना पड़ेगा। इस प्रकार पोषक तत्वों की दृष्टि
से भी वयस्कों को दूध की आवश्यकता नहीं होती। इस प्रकार हमारी खोज से यह निश्कर्श
निकलता है कि दूध वयस्कों के लिए तनिक भी आवश्यक नहीं है। इसके अभाव में भी हमारा
स्वास्थ उत्तम बना रह सकता है।
दूध
की प्राप्त मात्रा सीमित है
शिशुओं
व बच्चों के लिए दूध अनिवार्य है। उने लिए यह पूर्ण व पोष्टिक भोजन है। हमें
बच्चों को अधिक से अधिक दूध देना चाहिए ताकि उनका शरीर स्वस्थ व बलशाली बन सके। पर
चूंकि दूध की प्राप्त मात्रा सीमित है और निकट भविष्य में उसमें वृद्धि की आशा भी
नहीं है। इससे यही कहा जा सकता है कि वयस्कों के लिए दूध का प्रयोग एक ऐश्वर्य है
और उसके फलस्वरूप संसार के अनेक बच्चे दूध से वंचित रह जाते होंगे। हमारे देश में 75
प्रतिशत बच्चे पर्याप्त दूध न मिलने के कारण आवश्यक पोषक तत्व से वंचित रह जाते
हैं। अतः वयस्कों को चाहिए कि वे कम से कम दूध का प्रयोग करें। हम चाय व काफी से
दूध के प्रयोग को बन्द कर सकते हैं। हम काली काफी तथा पश्चिमी देशों के निवासियों
की तरह बिना दूध की चाय पीना प्रारम्भ करें। उनका स्वास्थ्य हमसे उत्तम रहता है। यह
अवश्य कहा जा सकता है कि प्रति दिन के भोजन में जो दही या दूध का प्रयोग होता है
उसे हटाना सम्भव नहीं है। परन्तु उसके लिए प्रति व्यक्ति प्रति दिन केवल 1/16 लीटर
दूध पर्याप्त है। वर्तमान उपलब्ध दूध में से इतने दूध की व्यवस्था सरलता से हो
सकती है।
मूंगफली
उत्पादन तथा उसके संरक्षण में ध्यान दें
इस
सम्बन्ध में हम मूंगफली की चर्चा किये बिना नहीं रह सकते। हम इसकी पूर्ण अपेक्षा
कर देते हैं और इसे घृणा से देखते हैं। 31 ग्राम मूंगफली पर बहुत थोड़े पैसे व्यय
होते हैं परन्तु उसमें उतने ही प्रोटीन व पोषक तत्व होते हैं जितने एक चौथाई लीटर
दूध में। हम इसे व्यर्थ की वस्तु समझकर ठुकरा देते हैं या पशुओं को खिला देते हैं।
हम प्रति वर्ष हजारों टन मूंगफली विदेशों को निर्यात करते हैं। भारत विश्व में
सबसे अधिक मूंगफली पैदा करता है परन्तु हम इससे बहुत कम लाभ उठाते हैं। हमारे पास
जितने भी खाद्यान्न है उन सबसे यह अधिक मूल्यवान है। अगर हम दूध की मात्रा में
वृद्धि करने की अपेक्षा मूंगफली उत्पादन तथा उसे सुरक्षित रखने की ओर ध्यान दें तो
हम अपने राष्ट्र में पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में सफल हो जायेंगें।#
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