एंजाइम प्रौद्योगिकी का भविष्य?
एंजाइम प्रोटीन के ऐसे अणु है, जो अनेक प्राकृतिक प्रक्रियाओं में जैविक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। ये अनेक रायायनिक क्रियाओं को तेज करके, उन्हें कम तापमान पर भी संचालित कर सकते है और इस तरह ऊर्जा की काफी बचत हो सकती है। हमारे दैनिक जीवन में एंजाइम प्रौद्योगिकी के विकास के प्रभाव काफी क्रांतिकारी सिद्ध हुए हैं। रासायनिक और जैविक क्रियाओं में एंजाइम की विशेष भूमिका के कारण वैज्ञानिकों के लिए यह हमेशा से शोध का विषय बना हुआ हैं। वैज्ञानिकों को विश्वास है कि विकासशील देशों की ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर होती समस्याओं का हल ‘‘एंजाइम’’ के इस्तेमालों द्वारा ही ढूंढा जा सकेगा।
एंजाइम एक प्रकार का कार्बनिक उत्प्रेरक है
वास्तव में एंजाइम भी उत्प्ररकों की तरह रायनिक क्रियाओं
में भाग लेते हैं। लेकिन फिर भी यह उनसे काफी विभिन्न होते हैं। अब प्रश्न यह है
कि उत्प्रेरक क्या है?
अपनी उपस्थिति से रासायनिक क्रियाओं में स्वयं निर्लिप्त रहने वाले
इन पदार्थों को आज हम उत्प्रेरक के नाम से जानते हैं। रासायनिक क्रियाओं के
फलस्वरूप उत्प्रेरकों की भौतिक अवस्था में तो परिवर्तन होता है, लेकिन उनमें कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता। यही कारण है कि उत्प्रेरकों
को बार-बार इस्तेमाल में लाया जा सकता है। एंजाइम भी एक प्रकार का कार्बनिक
उत्प्रेरक है जिनकों जीवित कोशिकाओं से प्राप्त किया जाता है।
एंजाइम शब्द अस्तित्व में आाया
वास्तव में शरीर के प्रत्येक कार्य में एंजाइम भाग लेते हैं।
यह बात कि कोशिका के बाहर भी एंजाइम कार्य कर सकता है। यह उपलब्धि बुखनर बंधुओ के
नाम है। बुखनर बंधुओं ने यह प्रमाणित किया कि जीवित यीस्ट की पूर्ण अनुपरिस्थिति
में, यीस्ट कोशिकाओं द्वारा ही नहीं बल्कि विघटित कोशिकाओं के जलीय घोलों
द्वारा भी शर्करा में खमीर उठाकर अल्लकोहल और कार्बन डाईऑक्साइड को प्राप्त कर
सकते हैं। इस आविष्कार के साथ ही एंजाइम शब्द अस्तित्व में आाया। इसका शाब्दिक
अर्थ वस्तु जो एंजाइम (यीस्ट) में (एन) हो।
एंजाइमों का नामकरण
बुखनर बंधुओं के बाद वैज्ञानिकों ने भिन्न प्राकार की
कोशिकाओं से अलग-अलग प्रकार के सैंकड़ों एंजाइम प्राप्त किए। ऐसे प्रत्येक एंजाइम
के घोल में प्रोटीन थे। वर्ष 1986 के पूर्व रसायनों के बीच इस बारे में
मतभेद था कि एंजाइम घोलों में पाए जाने वाले प्रोटीन वास्तव में एंजाइम है या नही?
उसी वर्ष जैम्स बी. सम्नर का एंजाइम को शुद्ध रूप में पृथक करने में
सफल हुए। सम्नर को इस अनुसंधान के लिए नोबल पुरस्कार भी मिला था। एंजाइमों का
नामकरण सरल और आसान प्रक्रिया रही है। जिस पदार्थ पर एंजाइम कार्य करता है उसके
नाम के आगे एक प्रत्यय लगा देते हैं। आज एंजाइम के बारे में हमारी जानकारी इतनी
अधिक है कि उसके व्यावसायिक उपयोग की तैयारी काफी बड़ें पैमाने पर चल रही है।
काफी महत्वपूर्ण है एंजाइम का इस्तेमाल
रासायनिक और जैविक क्रियाओं के मध्य एंजाइम की विशेषज्ञ
भूमिका के कारण दुनिया भर के वैज्ञानिकों में एंजाइम पर अनुसंधान करने की होड़ सी
लगी है। अनेक वैज्ञानिक संस्थाएं एंजाइम पर कार्य कर रही थी है। बायो गैस संयंत्र
व वाहितमल अभिक्रिया संयंत्र में एंजाइम का इस्तेमाल काफी महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है, जिससे
ऊर्जा संकट के समाधान की आशा की किरण दिखती है। इसके अलावा एंजाइम के उपयोग से
अनेक कीटनाशक एवं शाकनाशक औषधियों का निर्माण भी संभव है। असाध्य रोगों के निदान
के लिए विशेष कार्बनिक पदार्थों के निर्माण, कृत्रिम तथा
अकृत्रिम पदार्थों के संश्लेषण में भी एंजाइम की
भूमिका महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है।
एंजाइम अनुसंधान की भूमिका
भारत में एंजाइम प्रौद्योगिकी का भविष्य काफी उज्जवल है और
साथ ही कार्बनिक पदार्थों का संश्लेषण सफलतापूर्वक किया जा रहा है। गौरतलब है कि
आज दुनिया भर में तीव्र राजनीतिक आर्थिक परिवत्रनों का चक्र जारी है और दूसरी तरफ
उद्योग और कृषि का निरंतर विस्तार हो रहा है। ऐसे समय में एंजाइम अनुसंधान की
भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। भारत जैसे विकासशील देशों को अपने औद्योगिकी और
उज्जवल भविष्य के लिए स्वदेशी एंजाइम प्रौद्योगिकी को विकास को सर्वोच्च
प्राथमिकता देनी होगी। #
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