कैसे जान लेते हैं न सिर्फ मर्ज को, बल्कि मरीज को भी?


यदि प्रतिभा के साथ-साथ उसमें लंबे समय का अनुभव जुड़ जाए तो एक प्रकार की विशेष अनुभूति का उदय होता है। जिसे अंतर्ज्ञान कहते हैं। अनेक प्रतिभावान व्यक्तियों में यह विशेषता पाई जाती है। ऐसी विशेष क्षमता वाले लोग असंभव कार्य को संभव कर दिखाने हुनर रखते हैं। इस अनुभूति के बल पर प्रतिभा-सम्पन्न चिकित्सक बहुत थोड़े समय में ही बड़े निपुण ढंग से किसी रोगी के रोग का पता लेते  हैं।

आरंभ में वे रोग के संबंध में कुछ न समझ पाए

एक दिन अस्पताल के निचले माले में स्थित एमरजेन्सी वार्ड में किसी कठिन रोग से ग्रसित एक शिशु को लाया गया। वार्ड के डॉक्टर ने उसकी जांच की, लेकिन आरंभ में वे रोग के संबंध में कुछ न समझ पाए। कफ, तेज ज्वर, और गले की पीड़ा के कारण उस शिशु को बड़ा कष्ट हो रहा था। अंत में रोगी के मुंह को खोलने पर छोटी जीभ के चारों ओर सफेद दाग देखकर समझ गए कि उसे डिप्थीरिया हुआ था। एंम्बुलेंस बाहर ही खड़ी थी। डॉक्टर ने रोगी को संक्रामक रोगों के वार्ड में भिजवा दिया। उसके बाद सुप्रीटेन्ड ड़ॉक्टर रिमारिज रिपोर्ट करने के लिए डॉक्टर अमित के कमरे की ओर दौड़े।

मुझे वह गंध डिप्थीरिया की लगी

डॉक्टर अमित का कमरा ऊपर के माले पर था। जो कि एमरजेन्सी रुम से बहुत दूर था। उन्हें उस बालक के संबंध में कोई जानकारी नहीं थी। डॉक्टर को देखते ही डॉक्टर अमित बोल उठे- आखिर तुमने डिप्थीरिया रोगी को संक्रामक वार्ड में भेज ही दिया। यह क्या, इतनी दूर बैठ कर डॉक्टर अमित  को डिप्थीरिया के रोगी की खबर कैसे मिल गई? जब डॉक्टर अमित से यह बात पूछी गई तो उन्होनें उत्तर दिया कि- कैसे मैनें खिड़की से देखा, कि दूर एक बच्चे को एंम्बुलेंस पर चढ़ाया जा रहा था उस समय मेरे नाक ने एक गंध महसूस की- मुझे वह गंध डिप्थीरिया की लगी। रोगी लड़का, देखने में स्वस्थ तथा सबल दिखता था। अतः उन सज्जन ने डॉक्टर की सलाह पर ओर कोई ध्यान नहीं दिया। फलस्वरूप उसे तीन मास के अंदर ही एक-वमन होना आरंभ हो गया। यानि कि उसे थाइसिस हो गया था।

आयु प्रायः पचास है, लम्बी है पर दुबली-पतली है

एक दिन उनके  एक तरूण सहकारी डॉक्टर एक रोगिणी महिला की छाती के एक्स-रे के फोटो को लेकर तीन तल्ले को उनके इस विषय में निश्चित कमरे में गए। सहकारी डाक्टर चाहते थे कि रोगिणी को थाइसिस की छूत तो नहीं है। कहने की आवश्यक्ता नहीं कि इस रोगिणी के संबंध में डॉक्टर एल्वरिज को कोई खबर नहीं मिली थी।डॉक्टर एल्वरिज ने एक्स-रे की फिल्म को कई सेकेन्डों तक घुमा-फिराकर देखा। तदुपरान्त उनके गले से देववाणी के समान वाक्य निकलते गए- हूं, उन महिला की आयु प्रायः पचास है, लम्बी है पर दुबली-पतली है। खेल-कूद में अच्छा उत्साह भी रोमन कैथोलिक धर्म मानने वाली, कई संतानों की माता उन्हें जवानी में भी एक बार कठिन थाइसिस हो चुका है, निमोनिया, औह, हो, उसके साथ पाइमिया भी हुआ था।

इतना विवरण डॉक्टर एलमरेजि कैसे जान गए?

हां, हां एक बार घोड़े से गिर चुकी है। एक्तचाप भी ऊंचा है आर्टरी सेक्लरोसिस अर्थात  अर्थात धमनियों की कोमलता नष्ट हो गई है। बीच-बीच में भयानक गठिया से भी कष्ट पाती है। .........हूं अर्थराइससि... भाई गुडनेस, शिकार का शौक भी रहा है। सहकारी डॉक्टर सृम्मित होकर सुन रहे थे। अंत में, डॉक्टर अल्वारेस ने उन महिला को क्या रोग था यह भी बता दिया- परन्तु सहकारी डॉक्टर यह जानना नहीं चाहते थे। उनका सब कौतुहल अब केवल एक प्रश्न पर आकर केन्द्रित हो गया था कि रोगी के संबंध में इतना विवरण डॉक्टर एलमरेजि कैसे जान गए?

मनुष्य की मूर्ति को सजीव होते देखते हो

आखिर किस ज्ञान के प्रभाव से जिस जानकारी को डॉक्टर एलमरिस ने मात्र कई सैकेंडों में ही यह सब जान लिया था। जब उनसे यह पूछा गया तो तर्क तथा व्याख्या के साथ समझाने लगे एक्स-रे फोटो में मैंने सम्पूर्ण शरीर को मानो अपनी आंखों के सामने प्रतयक्ष किया। सिनेमा के पर्दे पर तुम जिस तरह मनुष्य की मूर्ति को सजीव होते देखते हो, उसी प्रकार छाया को दूर फेंक-रोगी के अंग-प्रत्यंग मेरी आंखों के सामने स्पष्ट हो गए।

छोटी हड्डियों का विन्यास फोटो में दिखाई दी

फोटों में, पहले मेरी दृष्टि दोनों स्तनों पर पड़ी। हाथ के आकार भी छोटे थे। अतः यह समझने में देर न लगी कि रोगी एक स्त्री है। देखा, पसलियों के कोमल भग का कुछ अंश चूने में बदल गया है, जिसे कैलीसिफिकेशनकहते हैं। कंधे की छोटी हड्डियों का विन्यास फोटो में दिखाई दी। उससे मैं यह समझ गया कि इस महिला की आयु 40 से अधिक है। छाती की नाप से यह पता लगा कि वे लम्बी, पर पतली-दुबली भी है। नाभि के के नीचे अंश से पसलियां और कोमल हड्डी के फैलने के कारण जो कोण बना है। जिसे कष्टयाल एन्गिल कहते हैं। उससे मैं यह समझ गया कि वे दुबली-पतली है।

समझ गया कि शिकार के समय एक दुर्घटना हुई

एक्स-रे में मैंने मेडल तथा गले में माला भी देखी। अतः संदेह का कोई कारण नहीं कि वह महिला एक धर्म-परायण रोमन कैथोलिक है। दोनों स्तन काफी फूले हुए थे- अतएव यह समझने में क्या बांकी रहता है कि वे कई संतानों की जननी भी है। गले की ओर एवं फेफड़े में कैलसिफियेड स्कार-नष्ट हो जाने के चिन्ह समझ गया कि उन्हें एक बार पहले भी थाइसिस रोग हुआ था। पसलियों में भी घाव के चिन्ह थे- अर्थात एमयाइमिया के पुंजों को बाहर निकालने के लिए परिवहन नल वहीं पर बैठाया गया था। हृदय का बांया लिम्ब बड़ा था एवं बड़ी धमनी का ऊपरी शिरा कुछ कैलसिफायड हो गया था। इससे यह स्पष्ट है कि उनका रक्त चाप काफी ऊंचा है। इतना ही नहीं, देखते ही समझ गया कि उसके साथ धमनी का कड़ापन भी है। अंत में मैने यह देखा कि मेरूदंड के चारों ओर कठिया वात के प्रचुर चिन्ह विद्यमान थे। एक कंधे की मांस-पेशी में दो वार्ड-सौटदिखा जिसे देखकर समझ गया कि शिकार के समय एक दुर्घटना हुई थी। #

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