अध्यात्म और योगा के प्रति विश्वभर में बढ़ती रूचि
ज्यों-ज्यों विश्व में भैतिकवाद अपना शिकंजा जमाता जा रहा है त्यों-त्यों लोगों की शांति भंग होती चली जा रही है। इसीलिए विदेशों में भारतीय योग विद्या के प्रति सहज में ही आकषर्ण आरंभ हो गया है। गत कई वर्षों से जो योग प्रचार विश्व के विभिन्न देशों में हुआ है उसके सुखद परिणम निकलने लगे हैं। जिनकी कभी आशा नहीं की जा सकती थी। इन दिनों अनेक भारतीय योग द्वारा चलाये जाने वाले शिक्षा केन्द्रों की संख्या हजारों में पहुंच गई है। इनके विस्तृत उदाहरण कुछ इस प्रकार से दिए जा रहे हैं।
विदेशों
में योगा का प्रचार-प्रसार
संयुक्त राज्य
अमेरिका में स्वामी योगानन्द का ‘सैल्फ रियलाइजेशन फैलाशिप’
एक लम्बे समय से कार्य कर रहा है। उनका यह फैलोशिप अमेरिका के लांस
ऐेजिल्स के समीप माउण्ट वाशिंगटन पर इस कार्य का प्रमुख केन्द्र है और शाखाएं
अमेरिका के अन्य छोटे बड़े नगरों में फैली हुई है। विश्व के प्रसिद्ध चलचित्र स्थल
हॉलीवुड के अभिनेताओं ने जब से योग साधना में दिलचस्पी लेनी शुरू की है, तब से तो इस ‘सैल्फ रियलाइजेशन मिशन के प्रति जनता
में और भी अधिक उत्साह बढ़ गया है। स्वामी योगानन्द की ‘साइन्स
ऑफ लिजन’, सासेन्गस ऑफ सोल, इत्यादि
पुस्तकें बड़ी रूचि के साथ पढ़ी जाती है। स्वामी योगानन्द के इस मिशन के सदस्यों की
संख्या लाखों तक पहुंच गई है। इसकी शाखाओं में केलीफोर्निया के डियागो और पैसफिक,
तथा पोलीसेड्स के केन्द
मुख्य हैं। इस मिशन की अध्यक्षा कुमारी फ्रेराइट अमेरिका में दया की जननी के नाम
से विख्यात हो गई।
स्वामी
निखिलानन्द का भारतीय योग प्रशिक्षण केन्द्र
संयुक्त राज्य
अमेरिका में ही दक्षिण भारत के एक स्थाई सच्चिदानंद है जिन्होनें अपना एक योग मिशन
न्यूमकि नगर में खोल रखा है व प्रति सप्ताह लगभग तेहर कक्षाओं को योग शिक्षा
प्रदान करते हैं और आश्चर्य की बात तो यह है कि स्वामी सच्चिनंद के इस मिशन में
बूढे़ व्यक्ति भी योग कक्षाओं में आते हैं, प्रत्येक कक्षा
में कम से कम 15 से लेकर 40 छात्र तक
है। इसी नगर में स्वामी निखिलानन्द का भारतीय योग प्रशिक्षण केन्द्र वर्षों से काम
कर रहा है। न्यूर्याक में उनके प्रधान कार्यालय को छोड़कर अन्य शाखायें कार्यरत है अन्य कई देशों में भी उनके
ऐसे केन्द्र कर रहें हैं। महर्षि महेश योगी का इन्सिडेन्टल मेडीटेशन भी अमेरिका
में विशेष रूचि का केन्द्र बन गया है। उनकी यह योगसाधना का केन्द्र ‘टी-एम’ के नाम से बहुचर्चित और विख्यात है। महर्षि
महेश योगी की शिक्षा कोम अमेरिका के कई विख्यात कालेजो में भी अपनाया है।
महेश
योगी की ध्यान साधना से प्रभावित अमेरिकी कलाकार
समझा जाता है कि
प्रारंभ में ‘वीटल’ महेश योगी की
ध्यान साधना से बहुत प्रभावित हुए थे। इसीलिए जनता का ध्यान उस ओर काफी बढ़ा इसके
प्रचार का अधिकतर कार्य वहां की ‘लेन्स सेट’ नामक पत्रिका खूब करती है। इसमें अब तक लगभग चार हजार अमेरिकी दीक्षा
ग्रहण कर चुके हैं। सीखने वालों को इसकी फीस देनी पड़ती है। महेश योगी की ध्यान
साधना से अमेरिका के फिल्म कलाकार सिनात्रे और शर्ले मेक्लेन तो अत्याधिक प्रभावित
हुए हैं।
इंटरनेशनल
सोसायटी फॉर कृष्ण कांससनेस
अमेरिका में ही संत प्रभुपाद जी ने न्यूयार्क नगर में ‘इंटर नेशनल सोसायटी फॉर कृष्ण कांससनेस’ नामक संस्था 1966 से कार्य कर रही है। जब स्वामी संत प्रभुपाद अमेरिका में पहुंचे थे तो वे अति साधनाहीन थे। किन्तु अब वे साधन सम्पन्न हो गए हैं। उनका कृष्ण कीर्तन अमेरिकियों का मुख्य आकर्षण है, आज वहां की जनता उनसे इतनी प्रभावित है कि उनके अनुयायिायों की संख्या भी हजारों में पहुंच गई है। अमेरिक में अकेले स्वामी प्रभुपाद के 28 केन्द्र हैं इनके अलावा उनके प्रमुख केन्द्र ब्रिटिश कोलम्बिया, क्यूवेक, ओटोरिया, लंदन आदि बड़े नगरों में भी कार्य कर रहे हैं। वर्जीनिया राज्य के लांस एंजिल्स नामक नगर में उनका प्रमुख भगवान कृष्ण का अध्ययन केन्द्र है। इस सन्दर्भ में उनका एक प्रमुख पत्रिका ‘बैक टू गॉड हैड’ नाम से विशेष उल्लेखनीय है। यह पत्रिका अंग्रेजी में छपती है। स्वामी प्रभुपाद ने लगभग 400 बीघा जमीन में एक न्यू वृन्दावन बसाया है जिसमें 50 गायें और 100 कृष्ण भक्त हर वक्त साधना करते हुए नजर आते हैं। वहां के वीटलों के अग्रणी जार्ज हैरिसन उनके इस आंदोलन से बहुत ही प्रभावित हुए हैं, अतः वे भी कृष्ण मंडली के सदस्य के रूप में भाग लेते है। लगभग दो वर्ष पूर्व इंग्लैण्ड के प्रसिद्ध नगर लंदन में एक भारतीय तांत्रिक कला प्रदर्शनी आयोजित की गई थी। इसमें तंत्र योग से संबंधित समस्त साहित्य, चित्र तथा अन्य उपकरण विशेष आकर्षण के केन्द्र बन गए थे। यों तो सभी ने उसे बड़े उत्साह के साथ देखा था किन्तु इसमें विशेष रूचि वहां के छात्र वर्ग ने दिखलाई थी। सामग्री का परिचय देने वाला सूची पत्र पांच शिलिंग मूल्य का था उसे लोगों ने बड़ी संख्या में खरीदा था।
ब्रह्माकुमारी
ईश्वरीय विश्वविद्यालय
ब्रह्माकुमारी
ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से अमेरिका, यूरोप,
आस्ट्रेलिया तथा अन्य तमाम देशों में योग का आयोजन करके भारतीय
मान-सम्मान को बहुत आगे तक बढ़ाया जा रहा है। उनकी प्रदर्शनी में सर्व साधारण से
लेकर उच्च कोटि के राजनीतिज्ञों, साहित्यकारों तथा वैज्ञानिकों
ने भी अपनी विशेष दिलचस्पी दिखलाई है। ऋषिकेश, लक्ष्मण झूला
के इर्द-गिर्द लगभग एक दर्जन आश्रय ऐसे ही योगसाधना से आलिप्त हैं इनमें से अधिकतर
का निर्माण विदेशी धन से हो रहा है। उनके संचालक योग प्रचार के लिए विदेशों में
जाते हैं और आवश्यक धन जुटाने की व्यवस्था करते हैं।
भारतीय
योग विज्ञान का विदेशों में बढता आकर्षण
इसमें संदेह नहीं कि विश्वभर में भारतीय अध्यात्म और दर्शन के प्रति काफी रूचि बढ़ रही है इनके प्रचारकों की संख्या भी दिन दूनी रात चैगुनी बढ़ती जा रही है। संसार के किसी भी देश में भारतीय योग शिक्षक पाये जा सकते हैं। हमारे अध्यात्म की यह आकर्षण पूर्ण सफलता योग शिक्षा भव की विशेषता नहीं कही जा सकती है बल्कि संसार में व्याप्त अवांछनीय भौतिकवाद के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं की विभिन्न प्रतिक्रिया ही नहीं अपितु उसका एक समस्याओं को हल करने का एक तरीका भी है। अब जब भी विश्वभर में भरत के योग प्रचार की धूम बढ़ी है अतः प्रचारकों का यह दायित्व हो जाता है कि वे योग शिक्षा में भारतीय दर्शन के उस रूप् को अवश्य ही सम्मलित करना चाहिए जिससे कि लोगों की उद्विग्नता जो कि भौतिकवाद के कारण अपनी चरम सीमा पर पहंच गई थी को दूर किया जा सके। जिसके कारण भरतीय विद्या के प्रति और अधिक आकर्षण बढ़ सके। #
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