मीडिया स्वामित्व में बदलाव की आवश्यकता
लोकतंत्र के सजग प्रहरी और आम जनता के हितों के रक्षक के रूप में मीडिया के लिए यह आवश्यक है कि वह किसी भी तरह के सरकारी या व्यापारिक नियंत्रण से मुक्त हो। वैसे तो भारतीय संविधान में मीडिया की स्वतंत्रता के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं है लेकिन तब भी सूचना के मौलिक अधिकार के अंतर्गत मीडिया को अपनी बात कहने और अपने मत को व्यक्त करने का पूरा अधिकार है। जनहित में कार्य करते समय मीडिया को अक्सर व्यवस्था का आलोचक और विरोधी बनना पड़ता है जिसके बिना न तो लोकतंत्र की रक्षा हो सकती है और न ही आम जनता के हितों को आगे बढ़ाया जा सकता है। व्यवस्था विरोध मीडिया के लिए एक शर्त है। हम सभी जानते हैं कि मीडिया पर कई तरह के दबाव पड़ते हैं यह दबाव सरकार की तरफ से होते हैं और साथ ही साथ कॉरपोरेट जगत तथा निहित स्वार्थों द्वारा भी डाले जाते हैं। यह दबाव मीडिया की को अपनी ओर मोड़कर जनमानस को प्रभावित करने के लिए डाला जाता है। प्रश्न यह है कि मीडिया इन दवाओं का शिकार क्यों होता है? इसका कारण स्पष्ट है किसी भी आर्थिक गतिविधि के लिए किसी भी अन्य उद्योग की तरह ही संचार माध्यमों को पूंजी निवेश और धन की आवश्यकता होती ह...