अंग्रेजी सीखने के आसान तरीके
अंग्रेजी हमारे यहां आम भाषा नहीं है। उसे सीखने के लिये हमें मातृभाषा की तरह का माहौल तो नहीं मिल सकता पर बहुत कुछ वैसा माहौल हम निर्मित कर सकते हैं। पहले तो चौथी पांचवीं कक्षा तक अपनी मातृभाषा का अभ्यास बहुत अच्छा कर लें, इसके बाद ऐसा स्कूल चुनें जहां अंग्रेजी में पढ़ाई होती हो तो आपको भाषा बार-बार सुनने को मिलेगी। स्कूल से आने पर जब भी टीवी देखें तो अंग्रेजी में चल रहे कार्यक्रम बार-बार ध्यान से सुनते रहें भले ही उनकी बातें आप पूरी तरह न समझ पाएं।
इसी तरह रेडियो या ट्रांजिस्टर पर भी अंग्रेजी समाचार और दूसरे अंग्रेजी के कार्यक्रम सुनते रहें। याद रखें कि भाषा सीखने का पहला कदम सुनते रहने से ही शुरू होता है। हिंदी समाचार के ठीक बाद यदि अंग्रेजी समाचार भी उन्हीं दृश्यों के साथ देखें तो निश्चित रूप से आपकी अंग्रेजी की समझ लगातार बढ़ती जाएगी। अंग्रेजी सीखने के लिये हम समुचित माहौल बना सकते हैं। किसी शब्द की सही स्पेलिंग और अर्थ याद कर लेना काफी नहीं है। उसका सही जगह उपयोग भी आना चाहिये। ग्रामर (व्याकरण) भाषा को सही पायदान पर सीखने में सहायक होता है।
पहले तो सही संदर्भ में आप सीन देखकर कोई बात सुनेंगे तो निःसंदेह बहुत कुछ समझ में आएगा। सुने हुए शब्द से यदि छोटे-छोटे वाक्य बने तो नोट कर लें। याद रह जाए तो उन्हें बार-बार दोहराएं। उन्हीं में नामों की जगह अपने घर के लोगों के नाम रखकर वैसे ही और वाक्य भी बोलें। याद रखें अंग्रेजी को भी अन्य भाषाओं की तरह पहले बोलना सीखना चाहिए, लिखना व पढ़ना बाद में।
अपने भाई-बहनों और दोस्तों के बीच परिचर्चा में अंग्रेजी बोलते रहने का अभ्यास करें। बोलने में थोड़ी गलती होगी तो परवाह न करें, क्योंकि मातृभाषा सीखते समय हमारे घर के बच्चे भी गलती करके सीखते हैं। अगर ठीक बोलने में घर के किसी बड़े या अंग्रेजी ट्यूटर की भी मदद मिल सकती हो तो बोलना जल्दी आ सकेगा और गलतियां भी कम होती जाएंगी।
भाषा की नींव शब्दों के साथ-साथ वाक्य है। पर वाक्य शब्दों के सही संयोग से ही बनते हैं, तो हम लगातार नए शब्दों को वाक्य तथा सही संदर्भ में सीखते चले जाएं। किसी शब्द की सही स्पेलिंग और मनीनिंग याद कर लेना पर्याप्त नहीं। उसका सही जगह उपयोग भी आना चाहिए। डिक्शनरी तो आपके पास होनी ही चाहिए जिसमें से अर्थ निकालें और याद करें। शब्दों के अर्थ भी संदर्भ में जुड़कर बदलते रहते हैं तो उन्हें वाक्यों में प्रयोग करना सीखना चाहिए। सही परिस्थिति से जोड़कर शब्दकोश की लगातार बढ़ोतरी से भाषा सीखने में मदद मिलती है।
ऐसा नहीं है कि ग्रामर पहले पढ़कर भाषा सीखी जाती हो। हमने आपनी मातृभाषा बिना व्याकरण पढ़े समझने और बोलने का अभ्यास करके ही सीखी थी। ग्रामर भले ही सीधे अंग्रेजी का अभ्यास नहीं कराती पर वह एक सही पायदान पर भाषा सीखने में सहायक होती है और उसकी गलतियां भी दूर करती है। उदाहरण के तौर पर हम सामान्य रूप से चलना बवचपन में गिरते पड़ते सीख जाते हें पर सैनिक बनना चाहें तो मार्चिंग के लिए हमें नियम कायदे सीखने ही होते हैं और उनका अभ्यास भी जरूरी होता है। अतः अभ्यास करते हुए व्याकरण का भी सहारा लें।
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